Site icon Bless TV

आज है कालाष्टमी व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

हिंदू धर्म में कालाष्टमी का विशेष महत्व है। कालाष्टमी का दिन भगवान शंकर को समर्पित है। यह दिन शिव भक्तों के लिए खास माना जाता है। कालाष्टमी का महत्व भगवान शिव के रुद्र अवतार कालभैरव की पूजा के लिए है। कालाष्टमी हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। इस बार कालाष्टमी बुधवार यानी 16 नवंबर को मनाई जा रही है. आइए इस मौके पर जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा की रस्में।

धार्मिक मान्यता के अनुसार कालभैरव भगवान शंकर के अवतार हैं। भगवान शंकर के दो रूप माने जाते हैं, एक बटुकभैरव और दूसरा कालभैरव। बटुकभैरव रूप सौम्य है और कालभैरव रूप हिंसक है। कालाष्टमी के दिन भगवान कालभैरव की पूजा करने से भय से मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत करने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है। कालभैरव की पूजा करने से शत्रु से मुक्ति मिलती है।

कालाष्टमी शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की अष्टमी तिथि 16 नवंबर 2022 को प्रातः 05:49 बजे से प्रारंभ होगी। तो अष्टमी 17 नवंबर को शाम 07.57 बजे समाप्त होगी।

चौघड़ी मुहूर्त
लाभ – प्रगति – प्रातः 06:44 से प्रातः 08:05 बजे तक

अमृत ​​– उत्तम – 08:05 AM से 09:25 AM

शुभ – उत्तम – प्रातः 10:45 बजे से दोपहर 12:06 बजे तक

लाभ – प्रगति – शाम 04:07 बजे से शाम 05:27 बजे तक

यह करें पूजा
कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। उसके बाद मंदिर में जाकर गणपति, भगवान कालभैरव, भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करें। रात्रि में फिर से भगवान कालभैरव की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि रात में भगवान कालभैरव की पूजा की जाती है। भगवान कालभैरव की उचित पूजा और आरती धूप, दीपक, काले तिल, ऊद और सरसों के तेल से करनी चाहिए। भगवान कालभैरव को गुलगुले, हलवा या जलेबी का भोग लगाना चाहिए। पूजा के दौरान भैरव चालीसा का पाठ करना चाहिए। पूजा के बाद कुछ प्रसाद काले कुत्ते को खिलाना चाहिए।

Exit mobile version