आयुर्वेद के जानकारों के अनुसार ताँबे के बर्तन में रखा हुआ जल आवेशित जल कहलाता है। तांबे के लोटे में करीब 7-8 दिन तक पानी रखने से ये गुण पानी में आ जाते हैं। इस पानी को रोज सुबह खाली पेट पीने से पेट की समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी।
तांबे के लोटे में पानी पीने के हैं कई फायदे लेकिन क्या सिर्फ गर्मियों में तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना चाहिए। इसको लेकर लोगों में भ्रम है। आज हम आपको बता रहे हैं कि गर्मियों में किन लोगों को तांबे के बर्तन का पानी नहीं पीना चाहिए।
पाचन क्रिया में सुधार कॉपर में ऐसे गुण होते हैं जो हानिकारक बैक्टीरिया को मारते हैं और पेट में सूजन को कम करते हैं, जिससे अपच और संक्रमण जैसी समस्याओं से बचाव होता है। कॉपर पेट को साफ और डिटॉक्स करने में भी मदद करता है, लिवर और किडनी के कार्य को नियंत्रित करता है।
वजन घटाने में सहायक : तेजी से वजन घटाने के लिए नियमित रूप से तांबे के बर्तन में रखा पानी पिएं। कॉपर पाचन तंत्र को बेहतर करने के अलावा आपके शरीर से फैट को दूर करने में भी मदद करता है। जिससे तेजी से वजन कम होता है।
घाव भरता है: कॉपर में बहुत अधिक एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। कॉपर तेजी से घाव भरने का एक उत्कृष्ट स्रोत है। इसके अतिरिक्त, कॉपर आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाकर नई कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है।
एनीमिया का इलाज करता है: कॉपर हमारे शरीर में अधिकांश प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण है। कॉपर कोशिका निर्माण से लेकर एनीमिया तक की कमियों को दूर करने में कारगर है।
कुछ लोगों को गर्मियों में तांबे के बर्तन का पानी नहीं पीना चाहिए। गर्मी के दिनों में पूरे दिन तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना सुरक्षित नहीं होता है। पेट के अल्सर से पीड़ित लोगों को यह पानी नहीं पीना चाहिए।
अगर आपको किडनी या दिल की समस्या है तो इस पानी को पीने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें। एसिडिटी के रोगी को भूलवश भी तांबे के बर्तन में रखा पानी नहीं पीना चाहिए। क्योंकि इससे समस्या बढ़ सकती है।