मुंबई: धूम्रपान, शराब पीना सेहत के लिए खतरनाक माना जाता है. धूम्रपान जैसे व्यसनों से कैंसर, दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। धूम्रपान करने से फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है। दरअसल, इन सभी बातों को जानने के बावजूद भी कई लोग नियमित रूप से धूम्रपान करते हैं। आजकल स्मोकिंग और ड्रिंकिंग का फैशन हो गया है। इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है क्योंकि इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। धूम्रपान के दुष्प्रभावों पर आज तक कई बार शोध किया जा चुका है। इस लत के खतरे स्पष्ट हो गए हैं। इसी सिलसिले में एक नया शोध चौंकाने वाला निष्कर्ष लेकर आया है। नए शोध से पता चलता है कि धूम्रपान मस्तिष्क पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। आइए इस शोध के निष्कर्षों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
हम जानते हैं कि धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह लत कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। इससे फेफड़े बुरी तरह प्रभावित होते हैं। लेकिन अब इस संबंध में एक नया शोध किया गया है। धूम्रपान से मस्तिष्क को नुकसान हो सकता है। शोध से पता चला है कि अगर आप रोजाना धूम्रपान करते हैं तो दिमाग का आकार कम हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि धूम्रपान तुरंत बंद कर दिया जाए।
धूम्रपान को हमेशा के लिए छोड़ने के लिए जरूरी है कि दिमाग और शरीर को बिना सिगरेट के जीने का आदी बनाया जाए। इसके लिए आप निकोटीन पैच का इस्तेमाल कर सकते हैं। धूम्रपान छोड़ने के कारणों की सूची बनाएं। इसके लिए नियमित व्यायाम फायदेमंद होता है। पता लगाएँ कि धूम्रपान के लिए आपके ट्रिगर्स क्या हैं और उनसे बचने की कोशिश करें। धूम्रपान करने की इच्छा को दूर रखने के लिए खुद को गतिविधियों में शामिल करना महत्वपूर्ण है।
नए शोध के मुताबिक, धूम्रपान न करने वालों की तुलना में रोजाना धूम्रपान करने वालों का दिमाग 0.4 क्यूबिक इंच छोटा होता है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक में लोगों के ब्रेन स्कैन और उनकी धूम्रपान की आदतों का विश्लेषण किया। इस शोध में प्रतिभागियों का 2006 से 2010 और 2012 से 2013 के बीच सर्वेक्षण किया गया था। दूसरे चरण में उनका एमआरआई किया गया। एमआरआई परीक्षणों से पता चला कि जिन लोगों ने कभी धूम्रपान नहीं किया था उनके मस्तिष्क का आकार सामान्य था। इस टेस्ट में धूम्रपान करने वालों के दिमाग का ग्रे एरिया 0.3 क्यूबिक इंच और व्हाइट एरिया 0.1 क्यूबिक इंच कम हुआ।
मस्तिष्क का ग्रे क्षेत्र भावनाओं, स्मृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जबकि सफेद भाग सूचनाओं के आदान-प्रदान का कार्य करता है। लंबे समय तक धूम्रपान करने से मस्तिष्क के सिकुड़ने पर गहरा असर देखा गया है। लेकिन जिन लोगों ने इस आदत को छोड़ दिया उनके ब्रेन मास में उलटी गिरावट देखी गई। मेडरिस्क के शोध में पाया गया कि धूम्रपान न करने वालों के दिमाग में ग्रे मैटर में 0.005 क्यूबिक इंच की वृद्धि हुई। इसकी अभी तक सहकर्मी समीक्षा नहीं की गई है।
इस बीच, सेरेब्रल एट्रोफी या मस्तिष्क का सिकुड़ना उम्र के साथ होता है। इसके कुछ लक्षण मरीज में नजर आते हैं। इनमें मांसपेशियों पर नियंत्रण की कमी, धुंधली दृष्टि, भटकाव, मांसपेशियों में कमजोरी, अल्जाइमर रोग, समन्वय की कमी शामिल हैं। इसलिए धूम्रपान छोड़ना जरूरी है। इससे मस्तिष्क संबंधी विकारों के जोखिम को कम किया जा सकता है।