Thursday, November 14th, 2024

यात्रा व तीर्थ एक साथ: द्वारिकाधीश के अलावा इन मंदिरों के भी दर्शन करें

भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका के प्रति हिंदू धर्म में भक्तों की गहरी आस्था है। ऐसी मान्यता है कि मथुरा छोड़ने के बाद भगवान कृष्ण ने इसे अपने हाथों से इसे बसाया था। इस कारण से इसकी गिनती प्रसिद्ध तीर्थों में होती है। भगवान शिव, श्रीकृष्ण व आदि शक्ति अंबाजी के कारण गुजरात राज्य देश-दुनिया के सबसे दर्शनीय व धार्मिक पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। इसलिए अगर इन छुट्टियों में आप गुजरात जाने का मन बना रहे हैं तो इन प्रमुख मंदिरों के दर्शन का लाभ भी उठाना न भूलें…

गुजरात के अहमदाबाद शहर से लगभग 380 कि.मी. की दूरी पर बसे द्वारका की चार धामों में गिनती होती है। इस मंदिर में चार दिशाओं में द्वार है, जिसमें उत्तर-दक्षिण द्वार को मोक्ष व स्वर्ग का प्रतीक माना गया है। ऐसी मान्यता है कि सदियों पहले जहां भगवान हरि का वास था, ठीक उसी जगह द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर में वास्तुकला की अद्भुत छाप देखने के लिए मिलती है, जिसे 16वीं शताब्दी के आसपास का बताया जाता है। यह मंदिर सात मंजिला है, जिसके शिखर पर 84 फुट लंबी ध्वजा लहराती है। यहां भगवान कृष्ण चांदी के सिंहासन पर विराजमान हैं और उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल विद्यमान हैं। यह भगवान श्री कृष्ण के सबसे प्राचीनतम मंदिरों में सबसे प्रमुख है। समुद्र के किनारे बसे इस मंदिर में आकर भक्तों को अलौकिक सुख की अनुभूति होती है।

द्वारकाधीश मंदिर

शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। भारत के पश्चिमी तट पर बने सोमनाथ मंदिर में ऐसी मान्यता है कि चंद्र देव ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी ताकि उन्हें महाराज दक्ष के श्राप से मुक्ति मिल जाए। इसके अलावा शिवपुराण के अनुसार, सोमनाथ सबसे पहला ज्योतिर्लिंग भी माना जाता है। समुद्र किनारे बसे इस मंदिर में रोजाना हजारों पर्यटक देश-दुनिया से दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

सोमनाथ मंदिर

अक्षरधाम मंदिर, गुजरात की राजधानी गांधीनगर में स्थित है। यह मंदिर स्वामीनारायण संप्रदाय का प्रतीक है। इसके भव्य रूप के कारण यह पर्यटकों में खासा लोकप्रिय है। इस मंदिर को भक्ति और शिल्प-कला का बेजोड़ नमूना कहना गलत नहीं होगा। यहां भगवान स्वामीनारायण की मूर्ति के भी दर्शन होते हैं। यहां के सुंदर बाग-बगीचे व फव्वारे यहां की प्राकृतिक छटा को और अधिक बढ़ा देते हैं। इसके अलावा मंदिर परिसर में नीलकंठ और सहजानंद हॉल, मिस्टिक इंडिया प्रदर्शनी जैसे अन्य पर्यटकों के लिए आकर्षण केन्द्र भी हैं। इसकी की प्रतिमूर्ति के दर्शन आप दिल्ली स्थित अक्षरधाम मंदिर में भी कर सकते हैं।

अक्षरधाम मंदिर

गुजरात का प्रसिद्ध पालीताना जैन धर्म मंदिर, शत्रुंजय नदी के तट पर बना हुआ है। दरअसल यह शत्रुंजय पर्वत की तलहटी में स्थित है। इस मंदिर की खासियत है कि यहां 900 से भी अधिक जैन मंदिरों के दर्शन करने का सुख आपको प्राप्त होता है। इस कारण से पालिताना मंदिर, जैन धर्म में विश्वास रखनेवाले भक्तों के लिए सबसे पवित्र तीर्थस्थान के रूप में भी माना गया है। यहां तक आने के लिए बच्चों-बुजुर्गों के लिए आपको पालकी सुविधा भी उपलब्ध है। हालांकि लगभग 4 कि.मी. की चढ़ाई करने के बाद आपको मंदिर के दर्शन होते हैं। यहां आकर आप भक्ति भाव से एकदम ओतप्रोत हो जाते हैं, क्योंकि यहां जैसे चारों ओर आपको पहाड़ की चोटी पर एकसाथ कई मंदिर के दर्शन और किसी जगह नहीं होते हैं। जो इसे राज्य का प्रमुख दर्शनीय स्थल बना देता है।

पालीताना जैन धर्म मंदिर

अंबाजी मंदिर, गुजरात के बनासकांठा जिला में निर्मित है। मां अंबा को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 1975 में हुआ था। जहां हर साल भाद्रपदी पूर्णिमा के अवसर पर मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए जमा होते हैं। इस मंदिर का शिखर 103 फुट ऊंचा है, जिसे 358 स्वर्ण क्लश से सजाया गया है। एक पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर की नवरात्र के दौरान छटा देखते ही बनती है, जहां से सूर्यास्त का दृश्य काफी सुंदर प्रतीत होता है।

अंबाजी मंदिर

शास्त्रों के अनुसार, गुजरात के पावागढ़ पर बसा मां कालिका का शक्तिपीठ सबसे जाग्रत माना गया है। यहां स्थित काली मां को महाकाली भी पुकारा जाता है। इसके साथ ही कालिका माता का यह प्रसिद्ध मंदिर मां के शक्तिपीठों में से एक है। दरअसल ऐसा माना जाता है कि माता सती के दाहिने पैर की उंगुलियां पावागढ़ पर्वत पर गिरी थी। यह मंदिर चंपारण्य के पास स्थित है, जो वडोदरा शहर से लगभग 50 कि.मी. दूर है। मंदिर की खासियत यह है कि यह ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। जहां भक्त रोप-वे के द्वारा दर्शन के लिए पहुंचते हैं। जहां से लगभग 250 सीढ़ियां चढ़ने के बाद जाकर आप मंदिर के मुख्य द्वार तक पहुंचते हैं।

मां कालिका मंदिर