17 मार्च को होली मनाई जाएगी। होली से 8 दिन पहले होलिष्टक शुरू हो जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलिष्टक प्रारंभ होता है। इस दिन से होली तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अच्छे कर्मों के लिए ये 8 दिन शुभ या अशुभ होते हैं। इन 8 दिनों में सभी ग्रहों की प्रकृति खुरदरी मानी जाती है और ग्रहों का खुरदरा स्वभाव अच्छे कर्मों के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए गए किसी भी अच्छे कार्य का प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है या पूर्ण फल नहीं मिलता है। आइए जानें कि होलिष्टक में शुभ कार्य क्यों नहीं किए जाते हैं।
जानिए होलीष्टक की कहानी
होलिष्टक में अच्छे कर्म न करने के बारे में एक मिथक है। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी के दिन से ही राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को सताना शुरू कर दिया था। इस अवधि के दौरान हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रल्हाद को मारने के लिए कई साजिश रची। लेकिन प्रह्लाद को श्री हरि विष्णु का आशीर्वाद मिला, इसलिए वह हिरण्यकश्यप की हर साजिश को विफल करता रहा। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन में जली थी लेकिन प्रल्हाद बच गया क्योंकि अष्टमी से पूर्णिमा तक भक्तों को प्रह्लाद पर बहुत नुकसान हुआ। इससे इन 8 दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ये 8 दिन बेहद अशुभ माने जाते हैं।
होलीष्टक का शुभ मुहूर्त
होलिष्ट फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 मार्च 2022 को दोपहर 2:15 बजे शुरू होगी।
फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 17 मार्च 2022 को होलाष्टक समाप्त हो रहा है।