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17 मार्च की रात को होगा होली दहन, पूजा के दौरान पढ़ें यह कहानी

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली का दहन किया जाता है। इस साल होली दहन गुरुवार 17 मार्च को होगा। अगले दिन शुक्रवार 18 मार्च को धुलीवंदन मनाया जाएगा।

होली दहन पूजा के दौरान फूल, गुड़, हल्दी, बट्टाशे, नारियल, गुलाल आदि आग में फेंके जाते हैं। वहीं गाय के गोबर से पूजा की जाती है। होली दहन से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है। पूजा के समय इस कथा का पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आज हम वो कहानी जानने जा रहे हैं। आइए जानें क्या है होली दहन की कथा और पूजा के दौरान कौन-सी कथा पढ़ें

होली दहन से जुड़े मिथक
यह कहानी भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार और भक्त प्रह्लाद की है। कहा जाता है कि भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। भक्त प्रह्लाद को हमेशा अपनी भक्ति में लीन रहना अच्छा लगता था। लेकिन हिरण्यकश्यप को यह कहानी बिल्कुल पसंद नहीं आई। हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रह्लाद को स्वयं पूजा करने के लिए कहा। लेकिन भक्त प्रह्लाद ने हिरण्यकश्यप की एक नहीं सुनी। तो हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को सताना शुरू कर दिया। कभी वह उसे हाथी के पांव के नीचे कुचलने की कोशिश करता तो कभी उसे घाटी में धकेलने की कोशिश करता। लेकिन भक्त प्रह्लाद हमेशा विष्णु की कृपा से पढ़ रहा था। इसलिए हिरण्यकश्यप ने यह कार्य अपनी बहन होलिका को सौंपा। होलिका को उपहार मिला कि वह कभी भी आग से नहीं जलेगी। इसलिए फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन वह भक्त प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि के बीच में बैठ गई। लेकिन इस बार भी भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रल्हाद बच गया। तब से होलिका दहन की प्रथा चली आ रही है। इसलिए होलिका दहन पूजा के दौरान इस कथा को अवश्य पढ़ना चाहिए।

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