कल चैत्र मास की अंतिम तिथि यानि 30 अप्रैल है। इस वर्ष चैत्र मास के अंतिम दिन का विशेष महत्व है। यह दिन शनिवार को आ रहा है और इस दिन विशेष सूर्य ग्रहण है। इस दिन शनि अमावस्या भी आ रही है। वहीं, एक दिन पहले शनि का परिवर्तन होकर कुंभ राशि में प्रवेश कर रहा है। यह पहली बार नहीं है जब योग को शनिवार और शनिदेव से जोड़ा गया है। इसके अनुसार शनि हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2079 का राजा है। शनि सूर्य देव के पुत्र हैं। शनिवार शनि को समर्पित सूर्य ग्रहण का दिन है। इसके साथ ही इस दिन शनि अमावस्या भी आ रही है। इतना ही नहीं 30 साल बाद शनि कुंभ राशि में प्रवेश कर रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 100 साल बाद ऐसा योग बन रहा है। इस योग में कुछ उपाय करना बहुत फायदेमंद होता है। आइए अब पता करते हैं।
ये रहा समाधान-
शनि और सूर्य से जुड़े इस दुर्लभ योग में कुछ उपाय बेहद फायदेमंद होते हैं। जिन लोगों का शनि साढ़े साती है। ऐसे लोगों को अमावस्या के लिए विशेष उपाय करने से लाभ होता है। कुंभ राशि में प्रवेश करने के बाद शनि का कर्क और वृश्चिक राशि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। तो मकर, कुम्भ और मीन राशि की शुरुआत डेढ़ बजे से होगी। इसलिए शनि के नकारात्मक प्रभाव से बचने के उपाय करने चाहिए।
सूर्य ग्रहण-शनि अमावस्या के दिन शनि को तेल चढ़ाना चाहिए।
उड़द की दाल और काले तिल को काले कपड़े में बांधकर शनि मंदिर को दान करें।
शनि के साथ भगवान शंकर और संकटमोचक हनुमना की पूजा करें। इससे शनि दोष से मुक्ति मिलेगी।
पिंपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए।
ग्रहण के बाद स्नान कर दान करें।