मुंबई, 7 मार्च: बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाने वाला होली/धुलीबंदन का त्योहार धार्मिक दृष्टि से बहुत ही शुभ माना जाता है। धूइवंदना के रंग खेलने से एक दिन पहले होलिका दहन की परंपरा है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को पड़ने वाली यह तिथि 07 मार्च 2023 को आ रही है। धूलिवंदना से जुड़े कई नियम हैं जिनका पालन करना बेहद जरूरी माना जाता है, खासकर नवविवाहितों को। मान्यता है कि नवविवाहित कन्याओं को होलिका दहन की अग्नि की तरफ नहीं देखना चाहिए। इसके अलावा भी कई नियम हैं जिनका पालन करना होता है। आइए जानते हैं क्या हैं वो नियम।
किस रंग के कपड़े पहनें?
दुल्हनों को धूलिवंदन के दिन काले कपड़े पहनने से बचना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि काला रंग नकारात्मक ऊर्जा को अधिक आकर्षित करता है, क्योंकि होलाष्टक के दिन नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव अधिक होता है, इसलिए इस रंग को धारण करने से बचना चाहिए। इसके अलावा जिन महिलाओं को शादी के बाद पहला पीरियड आ रहा हो उन्हें सफेद कपड़े नहीं पहनने चाहिए। इसके बजाय नई दुल्हन पीले या लाल रंग के वस्त्र धारण कर सकती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवविवाहितों को शादी के बाद पहली होली ससुराल में नहीं मनानी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है। नवविवाहित जोड़े के लिए ससुराल में पहला धनवाड़ बजाना अशुभ माना जाता है। ऐसा करना आपके रिश्ते को खराब भी कर सकता है, साथ ही आपके और आपके पार्टनर के साथ कुछ बुरा भी हो सकता है।
शादी का सामान किसी को न दें
नवविवाहित महिलाओं को विवाह में मिली वस्तु किसी को दान नहीं करनी चाहिए। माना जाता है कि होलिका के दिन अशुभ प्रभाव अधिक होता है और चीजों को देने से इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है।