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मकर संक्रांति पर क्यों पहनते हैं काले कपड़े? पढ़ें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

मुंबई, 4 जनवरी : भारतीय संस्कृति में सभी त्योहार पारंपरिक तरीके से और बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। हर त्योहार की कुछ रस्में और परंपराएं होती हैं। इसमें उस त्योहार या त्योहार की पोशाक, खाने-पीने की चीजें और कई अन्य चीजें शामिल होती हैं। अब नया साल शुरू हो गया है और मकर संक्रांति नए साल में मनाया जाने वाला पहला त्योहार है। कई जगहों पर इस दिन अच्छी फसल और समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है।

देश के कुछ हिस्सों में खासकर उत्तर भारत में मकर संक्रांति पर काले कपड़े पहनने की परंपरा है। काला रंग हिंदू धर्म में किसी भी त्योहार या शुभ कार्य के लिए अशुभ माना जाता है। लेकिन मकर संक्रांति के दिन काले रंग के कपड़े पहने जाते हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे की असल वजह क्या है। हिंदू धर्म में हर त्योहार का मौसमी महत्व होता है और इसके पीछे कुछ धार्मिक और प्राकृतिक कारण भी होते हैं।

काले कपड़े क्यों पहने जाते हैं?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है और सूर्य के इस गोचर को मकर संक्रांति कहते हैं। सौर पंचांग के अनुसार जिस दिन सूर्य राशि परिवर्तन करता है उस दिन को संक्रांति या मकर संक्रांति कहते हैं। इस दिन को उत्तरायण भी कहा जाता है। ये दिन और रात शीतकाल के सबसे ठंडे और सबसे लंबे होते हैं। इसलिए माना जाता है कि इस महान रात के अंधेरे को अलविदा करने के लिए इस दिन काले कपड़े पहने जाते हैं।

यह है वैज्ञानिक कारण

मकर संक्रांति को सर्दियों का सबसे ठंडा दिन माना जाता है क्योंकि यह संक्रांति का आखिरी दिन होता है। इसलिए इस दिन काला रंग पहनने की प्रथा है। क्योंकि काला रंग दूसरे रंगों के मुकाबले ज्यादा गर्मी सोखता है और इस तरह शरीर को गर्म रखने में मदद करता है।

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