वडकुनाथन मंदिर केरल में है। वडकुनाथन मलयाली भाषा का शब्द है। वडकुनाथन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर त्रिशूर में है। पौराणिक मान्यता के अनुसार त्रिशूर शहर भगवान शिव के त्रिशूल पर बसा है। त्रिशूर महाभारतकालीन शहर है। यह वही मंदिर है, जहां आदि शंकराचार्य के माता-पिता ने संतान प्राप्ति के लिए अनुष्ठान किए थे। वडकुनाथन मंदिर 60 एकड़ में फैला हुआ है।
जहां कभी घना सागौन का जंगल हुआ करता था। भूतपूर्व कोचिन रियासत के महाराजा राम वर्मा (1790-1805) के समय में त्रिशूर रियासत की राजधानी भी रहा है। यह नगर के मध्य में ही 9 एकड़ में फैला ऊंचे परकोटे वाला एक विशाल शिव मंदिर है। इस मंदिर में हर वर्ष आनापुरम महोत्सव आयोजित किया जाता है, जिसमें हाथियों को खाना खिलाया जाता है।
इस महोत्सव की शुरुआत में सबसे छोटे हाथी को भोजन देकर हाथियों का भोज शुरू किया जाता है। उन्हें गुड़, घी और हल्दी के साथ मिलाए चावल खाने को दिए जाते हैं। इसके साथ ही भोजन में नारियल, ककड़ी, गन्ना आदि भी शामिल होते हैं। यहां आदि शंकराचार्य की तथाकथित समाधि भी बनी है और उसके साथ एक छोटा सा मंदिर जिसमें उनकी मूर्ति भी स्थापित है।
उल्लेखनीय है कि आदि शंकराचार्य की एक समाधि केदारनाथ मंदिर के पीछे भी है। वडकुनाथन मंदिर संरक्षण के लिए यूनेस्को का उत्कृष्टता पुरस्कार 2015 भी मिल चुका है। यह मंदिर वर्षों पुरानी परंपराओं तथा वास्तु शास्त्र से प्राप्त संरक्षण की तकनीकों को समेटे हुए है।