शास्त्रों में कार्तिक मास के समान ही माघ मास को पवित्र माना जाता है। इस महीने में पड़ने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या शनिदेव व पितरों से संबंधित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन ही मनु ऋषि का जन्म हुआ था और मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई। इसलिए मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने से मुनि पद की प्राप्ति होती है।
मौनी अमावस्या पर स्नान का विशेष महत्व होता है। इस दिन स्नान-दान से महापुण्य की प्राप्ति होती है। इस बार मौनी अमावस्या 01 फरवरी 2022, दिन मंगलवार को है।इस दिन तीर्थराज प्रयाग में स्नान करने की परंपरा है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन संगम पर सभी देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने निरोगी काया की प्राप्ति होती है और मोक्ष मिलने की मान्यता है। अगर नहीं जा सकते तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
इस साल मौनी अमावस्या पर धनु राशि में सूर्य, मंगल और शुक्र का गोचर होगा। मकर राशि में चंद्रमा, शनि और सूर्य देव संचरण करेंगे। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, मौनी अमावस्या पर 27 साल बाद मकर राशि में शनि देव और सूर्य देव गोचर करेंगे।
मौनी अमावस्या पर क्या करें-क्या ना करें
क्या ना करें
नहाते समय कुछ न बोलें, मौन रहें।
घर में कलह ना होने दें. विवादों से बचें।
शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए।
सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए. बिना नहाएं भोजन ना करें।
नॉनवेज ना खाएं।
क्या करें
पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए।
स्नान कर तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, कपड़े आदि का दान करें।
संभव हो साधु, महात्मा, ब्राह्मणों को भोजन कराएं. यथाशक्ति दान दें।
दान के अलावा इस दिन पितृ श्राद्ध किया जाता है।
पहले जल को सिर पर लगाएं फिर स्नान करें।
इस दिन व्रत रखते हैं तो फल और पानी ग्रहण किए जा सकते हैं।
मौनी अमावस्या पर इन चीजों का करें दान
मौनी अमावस्या को तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, वस्त्र आदि दान करने की परंपरा है. जरूरतमंदों को कम्बल, सर्दी के वस्त्र आदि दान करने चाहिए।