हंडिया का प्राचीन सूर्य मंदिर द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के बेटे सांब ने बनवाया था। मान्यता है कि यहां स्थित सरोवर में पांच रविवार को स्नान करने से कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल जाती है…
ज्योतिष शास्त्र में ऐसी मान्यता है कि भगवान सूर्य की वंदना से व्यक्ति के सभी ग्रह अनुकूल हो सकते हैं। सनातन धर्म में प्रकाश और ऊर्जा के देव भास्कर की पूजा का विशेष महत्त्व है।
बिहार के गया व नवादा की सीमा पर हंडिया स्थित सूर्य नारायण मंदिर भी ऐसी ही महिमा को अपने में समेटे हुए है। नवादा जिला के नारदीगंज प्रखंड में हंडिया का प्राचीन सूर्य मंदिर द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के बेटे सांब ने बनवाया था। मान्यता है कि यहां स्थित सरोवर में पांच रविवार को स्नान करने से कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल जाती है।
जनश्रुतियों के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को गोपियों ने भ्रमवश श्रीकृष्ण मान लिया था। सांब ने गोपियों को अपनी पहचान नहीं बताई और गोपियों की लीला में शरीक हो गए। यह पता चलने पर श्रीकृष्ण क्रोधित हो गए। उनके श्राप से सांब कुष्ठ रोगी हो गए। सांब ने जब श्रीकृष्ण से कुष्ठ रोग से मुक्ति की प्रार्थना की, तब कृष्ण ने उन्हें 12 सूर्य मंदिरों का निर्माण कराने को कहा।
हंडिया का सूर्य मंदिर उन्हीं में से एक है। मंदिर के समीप एक तालाब (सरोवर) स्थित है। माना जाता है कि इस सरोवर में स्नान करने पर सभी तरह के कुष्ठ रोग दूर हो जाते हैं। काफी संख्या में लोग प्रत्येक रविवार को सरोवर में स्नान करने के बाद मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। हंडिया को द्वापरकालीन सूर्य मंदिर माना जाता है।
मंदिर और उसके आसपास पुरातात्विक महत्त्व की कई चीजें हैं, जो मंदिर के गौरवशाली अतीत को बताती हैं। लोक आस्था के महापर्व छठ में अर्घ्यदान के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। आसपास के ग्रामीण इलाकों के साथ ही दूसरे जिले और सूबे के छठव्रती भी यहां पहुंचकर भगवान भास्कर को अर्घ्यदान करते हैं। यहां के ग्रामीण अर्घ्यदान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं।
स्थानीय ग्रामीण व्रतियों की सेवा को अपना सौभाग्य समझते हैं। सड़क और तालाब की सफाई, रोशनी की व्यवस्था, पेयजल की व्यवस्था की जिम्मेदारी ग्रामीण खुद ही संभालते हैं। हंडिया प्रसिद्ध पर्यटक और ऐतिहासिक स्थल राजगीर से पांच किलोमीटर और नवादा से 31 किलोमीटर की दूरी पर है।
पौराणिक महत्त्व के अनुसार यह श्रीकृष्ण का प्रभाव वाला इलाका रहा है। मगध सम्राट जरासंध का मुख्यालय राजगीर था। मान्यता है कि मगध सम्राट जरासंध की पुत्री धन्यावती भी राजगीर से हंडिया आती थी। पास में ही धनियावां पहाड़ी पर एक शिवमंदिर भी है। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना धन्यावती ने की थी। प्रतिदिन वह इसी रास्ते उस मंदिर में पूजा करने जाती थी।