सिख इतिहास में पटना साहिब (बिहार) का खास महत्व है. सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह का जन्म यहीं 22 दिसंबर, 1666 को हुआ था. सिख धर्म के पांच प्रमुख तख्तों में दूसरा तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब हैं.
सिखों के दसवें गुरु का न केवल यहां जन्म हुआ था, बल्कि उनका बचपन भी यहीं गुजरा था. यही नहीं सिखों के तीन गुरुओं के चरण इस धरती पर पड़े हैं. हरिमंदिर साहिब गुरु गोविंद सिंह की याद में बनाया गया है, जहां उनके कई स्मृति चिह्न आज भी श्रद्धालुओं के आस्था से जुड़े हैं.
भारत में कई ऐतिहासिक गुरुद्वारे की तरह, श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब का निर्माण भी महाराजा रणजीत सिंह द्वारा करवाया गया है.
जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह बताते हैं कि हरिमंदिर साहिब पटना सिटी में चौक के पास झाउगंज मुहल्ले में स्थित है. कभी ये इलाका कूचा फरूख खान के नाम से जाना जाता था. अब इसे हरमंदिर गली के रूप में जाना जाता है. इसके आसपास तंग गलियों में व्यस्त बाजार है.
श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने अपनी रचना ‘दशमग्रंथ’ में लिखा है, ‘तही प्रकाश हमारा भयो, पटना शहर बिखै भव लयो’।
पटना हरिमंदिर साहिब में आज भी गुरु गोविंद सिंह की वह छोटी पाण है, जो बचपन में वे धारण करते थे. इसके अलावे आने वाले श्रद्धालु उस लोहे की छोटी चकरी को, जिसे गुरु बचपन में अपने केशों में धारण करते थे तथा छोटा बघनख खंजर, जो कमर-कसा में धारण करते थे, को देखना नहीं भूलते.
गुरु तेग बहादुर जी महाराज जिस संदल लकड़ी के खड़ाऊं पहना करते थे, उसे भी यहां रखा गया है, जो श्रद्धालुओं की श्रद्धा से जुड़ा है.