मुंबई, 18 मार्च: वैदिक ज्योतिष में शनि को बेहद खास और प्रभावशाली ग्रह माना जाता है। शनि को न्याय और कर्म का ग्रह माना जाता है। भगवान शनि लोगों को उनके कर्म के आधार पर शुभ या अशुभ फल देते हैं। जब किसी भी व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ होता है तो उस व्यक्ति के जीवन में कई तरह की परेशानियां आती हैं। लेकिन वहीं दूसरी ओर यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि शुभ स्थिति में है तो उस व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख-सुविधाएं और धन की प्राप्ति होती है।
ज्योतिष शास्त्र में शनि देव की दृष्टि को बेहद अशुभ माना गया है, ऐसे में कुछ खास कामों को करने से बचना चाहिए, नहीं तो शनि देव नाराज हो जाते हैं। शनि वास्तु में पश्चिम दिशा के स्वामी हैं। आइए जानते हैं वास्तु में शनि से जुड़े कुछ नियम।
भगवान शनि और वास्तु के नियम
वास्तु के अनुसार यदि घर का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में खोला जाए तो घर में नकारात्मकता बढ़ती है। अगर जगह की समस्या के कारण घर का मुख्य दरवाजा पश्चिम दिशा में लगाना पड़े तो घर के मुख्य दरवाजे के दोनों ओर घने पेड़ लगाने चाहिए।
घर की पश्चिम दिशा में किसी भी प्रकार का कूड़ा करकट या कूड़ा करकट और गंदगी न रखें। इससे शनि देव नाराज हो जाते हैं और अपनी अशुभ दृष्टि के साथ घर में दरिद्रता लाते हैं।
यदि घर की पश्चिम दिशा में खिड़की हो तो वह पूर्व दीवार की खिड़की से छोटी होनी चाहिए। नहीं तो नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
घर का पश्चिम भाग खुला होना चाहिए। जिन घरों में पश्चिम दिशा बंद होती है, उन घरों में रहने वाले सदस्यों के मानसिक तनाव में वृद्धि होती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार किचन कभी भी घर के पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए। ऐसे घर में आर्थिक झगड़े और कलह होते रहते हैं।
– पति-पत्नी का कमरा पश्चिम दिशा में होने से उनके बीच तनाव बढ़ता है।
– अगर आपके घर की पश्चिम दिशा में वास्तु दोष है तो घर में शनि ग्रह को जरूर रखें। इससे यह वास्तु दोष दूर होता है।