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प्रायश्चित एकादशी के दिन अवश्य पढ़ें यह प्रचलित कथा, सभी पापों से मुक्ति

चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहते हैं। इस बार एकादशी 28 मार्च सोमवार को आ रही है। हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि एकादशी का व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। एक धार्मिक मान्यता यह भी है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्त सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं और व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसलिए एकादशी से जुड़ी प्रचलित कथाओं को जानना जरूरी है। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बताने जा रहे हैं कि प्रायश्चित एकादशी के दिन कौन सी कथा का पाठ करना चाहिए।

एकादशी व्रत की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां एक सुंदर चैत्ररथ वन था। च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी वहाँ तपस्या कर रहे थे। एक दिन एक अप्सरा उस जंगल से गुजर रही थी। अप्सरा का नाम मंजुघोष था। अप्सरे ने मेधावी को देखा तो उससे प्यार हो गया। अप्सरा मेधावी को आकर्षित करना चाहती थी लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद वह सफल हो गई। जब वह निराश हुई, तो कामदेव ने अप्सरा के इरादों को समझा और उसकी मदद की। कामदेव की सहायता से अप्सरा ने मेधावी को अपनी ओर आकर्षित किया। अप्सरा के इन प्रयासों से मेधावी भगवान शिव की तपस्या भूल गई। कई वर्ष बाद जब उन्हें अपनी तपस्या का स्मरण आया तो उन्होंने मंजुघोष को पिशाच होने का श्राप दे दिया। अप्सरे के कहने पर मेधावी ने उन्हें प्रायश्चित एकादशी के व्रत के बारे में बताया और कहा कि यदि आप इस व्रत का नियमानुसार पालन करेंगे तो आपके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। उसके बाद अप्सरे के अनुसार एकादशी का व्रत करने से प्रायश्चित प्राप्त हुआ। इक्के मेधावी ने भी एकादशी का व्रत करने से अपने पापों से मुक्ति पाई थी।

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