फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन अमलकी व्रत की कथा सुनने से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। आज हम जानेंगे आमलकी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
यह है पौराणिक महत्व-
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा का जन्म भगवान विष्णु की नाभि से हुआ था। एक बार ब्राह्मण देव ने स्वयं को जानने के लिए परब्रह्म की तपस्या शुरू की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और प्रकट हुए। भगवान विष्णु को देखकर भगवान ब्रह्मा की आंखों से आंसू बह निकले और ये आंसू भगवान विष्णु के चरणों में गिर पड़े। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्म देव के ये आंसू आंवला के पेड़ में तब्दील हो गए थे।
ऐसा होते देख भगवान विष्णु ने कहा कि आज से यह फल मुझे प्रिय है और अब से इस वृक्ष की पूजा की जाएगी। अमलकी एकादशी पर, भगवान विष्णु ने भगवान ब्रह्मा से कहा कि आंवला के पेड़ की पूजा वास्तव में मेरी पूजा होगी। भगवान विष्णु ने कहा कि इस दिन उपवास और आंवले के पेड़ की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। तभी से आमलकी एकादशी को आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है और इस दिन भगवान विष्णु को आंवला भी चढ़ाया जाता है। इतना ही नहीं, धार्मिक मान्यता है कि इस दिन आंवला खाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, अमलकी एकादशी 13 मार्च को सुबह 10:20 बजे शुरू होती है और 14 मार्च को दोपहर 12:05 बजे समाप्त होती है। 14 मार्च को उदय तिथि के अनुसार व्रत रहेगा। व्रत का शुभ मुहूर्त 15 मार्च को सुबह 6:30 बजे से 8:55 बजे तक है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को सही तरीके से करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।