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औरंगाबाद में महादेव का मंदिर बनने में करीब 100 साल लगे।

मुंबई, 28 दिसंबर: आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो किसी अजूबे से कम नहीं है। कहा जाता है कि इस मंदिर को बनने में 100 साल से भी ज्यादा का समय लगा था। यह मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा यानी वेरूल की गुफाओं में स्थित है।

इसे वेरुल के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर के रूप में जाना जाता है। 276 फीट लंबा और 154 फीट चौड़ा यह मंदिर इस मायने में अनूठा है कि इसे केवल एक चट्टान को काटकर बनाया गया है। ऊंचाई की बात करें तो यह मंदिर किसी चार या पांच मंजिला इमारत के बराबर है।

कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में करीब 40 हजार टन वजनी पत्थरों को काटा गया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसे हिमालयी कैलास जैसा बनाने की कोशिश की जा रही है। कहा जाता है कि इसे बनवाने वाले राजा का मानना ​​था कि अगर कोई हिमालय तक नहीं पहुंच सकता है तो उसे यहां आकर अपने आराध्य भगवान शिव के दर्शन करने चाहिए।

इस मंदिर का निर्माण मालखेड़ में राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण (प्रथम) (757-783) ने शुरू कराया था। माना जाता है कि इस मंदिर को बनने में 100 साल से भी ज्यादा का समय लगा था और करीब 7000 मजदूरों ने इस मंदिर के निर्माण में दिन-रात योगदान दिया था। यूनेस्को ने इस जगह को 1983 में ही ‘वर्ल्ड हेरिटेज साइट’ घोषित कर दिया है।

 

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