गंगा दशहरा हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व है। यह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। गंगा दशहरा निर्जला एकादशी के एक दिन पहले मनाया जाता है। इस बार यह 22 जून को मनाया जाएगा।
कैसे आई धरती पर गंगा?
माना जाता है भागीरथ अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए धरती पर गंगा को लाना चाहते थे। क्योंकि एक श्राप के कारण केवल मां गंगा ही उनका उद्धार पर सकती थी। जिसके लिए उन्होंने मां गंगा की कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा ने दर्शन दिए और भागीरथ ने उनसे धरती पर आने की प्रार्थना की। फिर गंगा ने कहा “मैं धरती पर आने के लिए तैयार हूं , लेकिन मेरी तेज धारा धरती पर प्रलय ले आएगी। जिस पर भागीरथ ने उनसे इसका उपाय पूछा और गंगा ने शिव जी को इसका उपाय बताया। माना जाता है मां गंगा के प्रचंड वेग को नियंत्रित करने के लिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में समा लिया जिससे धरती को प्रलय से बचाया जा सके। और उसके बाद नियंत्रित वेग से गंगा को पृथ्वी पर प्रवाहित करा। जिसके बाद भागीरथ ने अपने पूर्वजों की अस्थियां प्रवाहित कर उन्हें मुक्ति दिलाई।
गंगा का पौराणिक महत्व क्या है?
– माना जाता है कि गंगा श्री विष्णु के चरणों में रहती थीं
– भागीरथ की तपस्या से, शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया
– फिर शिव जी ने अपनी जटाओं को सात धाराओं में विभाजित कर दिया
– ये धाराएं हैं – नलिनी, हृदिनी, पावनी, सीता, चक्षुष, सिंधु और भागीरथी
– भागीरथी ही गंगा हुयी और हिन्दू धर्म में मोक्षदायिनी मानी गयी
– इन्हे कहीं कहीं पर पार्वती की बहन कहा जाता है
– इन्हे शिव की अर्धांगिनी भी माना जाता है
– और अभी भी शिव की जटाओं में इनका वास है
गंगा दशहरा के पर्व की महिमा क्या है?
– गंगा दशहरा का पर्व ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि को मनाया जाता है
– माना जाता है कि, इसी दिन गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था
– इस दिन गंगा स्नान, गंगा जल का प्रयोग, और दान करना विशेष लाभकारी होता है
– इस दिन गंगा की आराधना करने से पापों से मुक्ति मिलती है
– व्यक्ति को मुक्ति मोक्ष का लाभ मिलता है
क्या करें गंगा दशहरा के दिन?
– किसी पवित्र नदी या गंगा नदी में स्नान करें
– घी में चुपड़े हुये तिल और गुड़ को या तो जल में डालें या पीपल के नीचे रख दें
– इसके बाद माँ गंगा का ध्यान करके उनकी पूजा करें, उनके मन्त्रों का जाप करें.
– पूजन में जो सामग्री प्रयोग करें , उनकी संख्या दस होनी चाहिए , विशेष रूप से दस दीपक का प्रयोग करें .
– दान भी दस ब्राह्मणों को करें , परन्तु उन्हें दिए जाने वाले अनाज सोलह मुट्ठी होने चाहिए.
क्या करें अगर किसी पवित्र नदी तक न जा पायें?
– घर में ही शीतल जल से स्नान करें
– जल में थोडा सा गंगाजल मिलाएं या तुलसी के पत्ते डालें.
– इसके बाद माँ गंगा का ध्यान करते हुये स्नान आरम्भ करें .
– स्नान करने के बाद सूर्य देवता को जल अर्पित करें.
– इसके बाद माँ गंगा के मन्त्रों का जाप करें .
– निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को दान करें.
अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए गंगा दशहरा पर क्या करें?
– सम्पूर्ण श्रृंगार करके माँ गंगा की आरती करें
– इसके बाद माँ को वस्त्र और श्रृंगार की वस्तुएँ अर्पित करें.
– माँ से अखंड सौभाग्य की प्रार्थना करें.
– अर्पित की हुई वस्तुएँ किसी सौभाग्यवती स्त्री को दान कर दें .
आयु और स्वास्थ्य रक्षा के लिए, गंगा दशहरा पर क्या करें?
– घर से गंगाजल लोटे में भरकर शिव जी के मंदिर जाएँ
– गंगाजल से शिव जी का अभिषेक करें
– इसके बाद अमृत मृत्युंजय का जाप करें.
– अच्छे स्वास्थ्य और लम्बी आयु की प्रार्थना करें.
गंगा दशहरा पर क्या अवश्य करें?
– पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें
– भगवान शिव की उपासना अवश्य करें
– इसके बाद माँ गंगा की पूजा करें
– निर्धनों को ग्रीष्म ऋतु वाली वस्तुओं का दान करें
– हो सके तो नदी के किनारे दीप दान करें
गंगा दशहरा पर क्या न करें?
– नदियों को गन्दा न करें
– फूल, दीपक, प्लास्टिक आदि नदी में न फेंकें
– आहार, विचार और व्यवहार सात्विक रक्खें
– बिना शिव की पूजा के गंगा की पूजा न करें