मुंबई, 15 मार्च: हिन्दू पंचांग के अनुसार सीता सप्तमी और अष्टमी के दिन माता की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है। इस साल शीतला सप्तमी व्रत 14 मार्च को और अष्टमी 15 मार्च को है। शीतला अष्टमी व्रत को बासौड़ा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इस दिन सीता मां को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि शिता माता की विधिवत पूजा करने से शरीर में ठंडक बनी रहती है और सभी रोग दूर हो जाते हैं। ऐसे में जानिए शीतला अष्टमी पर कौन से काम वर्जित हैं और क्या करें?
शीतला अष्टमी पर न करें ये काम
शीतला अष्टमी के दिन चूल्हा नहीं जलाना चाहिए। इस दिन बासी भोजन ही करना चाहिए।
शीतला मां को ताजा भोजन बिल्कुल न दें, बल्कि शीतला सप्तमी के दिन बना हुआ भोजन ही करना चाहिए।
अष्टमी के दिन घर में झाडू लगाना वर्जित होता है।
शीतला अष्टमी के दिन नए वस्त्र या गहरे रंग के वस्त्र धारण करने से बचें।
इस दिन मांस और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
परंपरा के अनुसार शीतला अष्टमी के दिन सुई में धागा नहीं पिरोना चाहिए और न ही सिलाई करनी चाहिए।
शीतला सप्तमी और अष्टमी पर लहसुन और प्याज जैसे तमोगुणी खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
शीतला सप्तमी और अष्टमी के दिन पशु-पक्षियों को बिल्कुल भी परेशान नहीं करना चाहिए। खासकर गधा, क्योंकि इस जानवर को माता शिता का वाहन माना जाता है। ऐसा करने से कुष्ठ रोग होना माना जाता है।
शीतला अष्टमी और सप्तमी पर क्या करें
शीतला सप्तमी पर मां शीतला को भोग लगाने के लिए मीठे चावल बनाएं. इसके अलावा चने की दाल भी पकानी चाहिए।
इस दिन स्नान आदि करने के बाद होलिका दहन वाले स्थान पर घी की बत्ती से आटे का दीपक जलाएं। साथ ही मीठे चावल, चने की दाल, हल्दी आदि का भोग लगाना चाहिए।