Friday, April 26th, 2024

क्या आपकी कुंडली में शनि से जुड़े हैं ये 3 शुभ योग? जानिए महत्व

ज्योतिष में शनि को नवग्रहों का सेनापति कहा गया है। शनि देव निष्पक्ष हैं और जातक के कर्म के अनुसार फल देते हैं। शनि को अनुशासनात्मक ग्रह के रूप में भी देखा जाता है। शनि कानून, नौकरी, तकनीक और संघर्ष से जुड़ा है। शनि का शुभ योग जीवन को प्रगति की ओर ले जाता है। इसी के बारे में है हमारा आज का लेख और इस लेख में हम आपको शनि के शुभ योग और इसकी विशेषताओं के बारे में बताने जा रहे हैं। तो चलिए और जानते हैं।

सप्तम में शनि
कुंडली के सातवें भाव में शनि दुगुने बलवान हो जाते हैं। इस घर में शनि हो तो शनि व्यक्ति को धनवान बनाता है। हालांकि, शनि व्यक्ति के विवाह में भी देरी करता है। सप्तम भाव में शनि के प्रभाव में जातक परिश्रमी बनता है और परिश्रम से उन्नति करता है। शादी के बाद इन लोगों का भाग्य उज्ज्वल होता है। यदि आपकी कुंडली में यह योग है तो आपको नियमित रूप से शनिदेव की आराधना करनी चाहिए।

शाश योग
यह शनि का पंच महापुरुष योग है। यदि कुंडली में शनि मकर, कुम्भ या तुला राशि में हो तो यह योग बनता है। इसके लिए कुंडली में शनि लग्न से केंद्र में होना चाहिए। यह योग व्यक्ति को अपार धन और समृद्धि देता है। इस योग के कारण व्यक्ति शून्य से सफलता के शिखर पर पहुंच जाता है। यह योग व्यक्ति को धनवान बनाता है, अगर यह योग आपकी कुंडली में है तो हमेशा छोटों का सम्मान करें।

शनि-शुक्र योग
शनि स्थिरता का स्वामी है और शुक्र महिमा का स्वामी है, इस प्रकार दोनों की युति शुभ योग का निर्माण करती है। यह योग तभी प्रभावी होता है जब शुक्र और शनि एक साथ हों। तुला या वृष राशि में हो तो यह योग सर्वोत्तम होता है। यह योग शाही सुख और अपार धन देता है। यदि आपकी कुंडली में यह योग है तो नियमित रूप से सिक्कों का दान करें।

शनि को मजबूत करने के लिए करें ये उपाय
यदि कुंडली में शनि कमजोर हो तो कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं। शनि को मजबूत करने के लिए शनिवार के दिन उदीद, लोहा, तेल, तिल, पुखराज रत्न, काले वस्त्र का दान करना चाहिए। इसके साथ ही नीलम रत्न को धारण करने से शनि ग्रह को बल मिलता है। इसके साथ ही 7 मुखी रुद्राक्ष को धारण करना भी बहुत लाभकारी होता है।