मुंबई, 3 मार्च: हिंदू धर्म में पेड़-पौधों को भी बेहद पवित्र और पूजनीय माना जाता है. कुछ व्रतों और त्योहारों का पेड़-पौधों से गहरा संबंध होता है। आमलकी एकादशी या आंवला एकादशी व्रत भी इन्हीं में से एक है। इस वर्ष आमलकी एकादशी का व्रत 3 मार्च 2023 दिन शुक्रवार को है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी का व्रत किया जाता है। महर्षि वशिष्ठ ने राजा मान्धाता को इस व्रत का महत्व बताते हुए कहा था कि इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है।
आंवला एकादशी पर शुभ योग
भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है। आमलकी एकादशी या आंवला एकादशी का दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए बेहद खास होता है। और इस बार आमलकी एकादशी या आंवला एकादशी पर 3 शुभ योग बन रहे हैं। आमलकी एकादशी पर तीन शुभ योग बनते हैं- सर्वार्थ सिद्धि योग, सौभाग्य योग और शोभन योग। इनमें सर्वार्थ सिद्धि योग विशेष फलदायी है।
3 मार्च को आंवला एकादशी व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर दोपहर 3 बजकर 43 मिनट तक रहेगा. वहीं सौभाग्य योग 3 मार्च को सूर्योदय से शाम 06 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इसके समाप्त होते ही तीसरा शुभ योग शोभन योग शुरू हो जाएगा, जो व्रत के दिन तक रहेगा।
सर्वार्थ सिद्धि योग में एकादशी का व्रत करें
06:45 AM से 11:06 AM उन लोगों के लिए जो आमलकी एकादशी का व्रत रखते हैं या इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं। इस दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा और इस योग में किए गए कार्य सफल होंगे और पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होगा। इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए शुभ कार्य सफल होते हैं।
एकादशी के व्रत में भूलकर भी न करें ये गलती
अगर आप आमलकी एकादशी का व्रत कर रहे हैं तो याद रखें कि इस दिन आंवले के पेड़ और उसके फल का विशेष महत्व होता है। इसके बिना आंवला एकादशी की पूजा और व्रत पूरा नहीं होता है। इसलिए आंवले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही भगवान विष्णु को करवंदे का भोग लगाएं और प्रसाद में करवंदे का भोग लगाएं।